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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि

अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।

मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् ।

दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में मां दुर्गा की नौ देवियां और दस महाविद्या का वर्णन है.

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.

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